13 नवंबर को सोमवती अमावस्या है, लेकिन अमावस्या दिवाली वाले दिन से शुरू होती है, इसलिए यह दिवाली पर एक अद्भुत संयोग है। लक्ष्मी पूजन में सोमवती अमावस्या का संयोग बहुत शुभ होता है। तो चलो जानते हैं कि किस समय पूजन करना शुभ होगा।
सोमवती अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
सोमवती अमावस्या का व्रत रखने से सौभाग्य मिलता है और सभी बाधा दूर होती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। लेकिन क्योंकि दिवाली के दिन सोमवती अमावस्या है, इसलिए लक्ष्मी, गणेश और कुबेर के अलावा भगवान शिव को भी पूजना शुभ माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करना चाहिए। पूरे दिन नमक नहीं खाना चाहिए अगर संभव हो सके।
दिवाली पर अमावस्या
12 नवंबर, रविवार रात को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा, जिस दिन सोमवती अमावस्या भी होगी। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को हर वर्ष दिवाली का पर्व मनाया जाता है, और इस दिन सुख, समृद्धि और वैभव के लिए महालक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। सोमवती अमावस्या को दिवाली के दिन होना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान, ध्यान और दान करने से सौभाग्य बढ़ता है। साथ ही पिंडदान, तर्पण, दान और श्राद्ध भी किए जाते हैं।
सोमवती अमावस्या का महत्व इस बार बढ़ गया है क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। सोमवती अमावस्या को दिवाली के दिन मनाना बहुत शुभ माना जाता है। इस संयोग को महालक्ष्मी और गणेश के अलावा भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा भी मिलेगी।
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सोमवार को पीपल पूजन का मुहूर्त
अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर शुरू होती है और 13 नवंबर, सोमवार को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होती है। इस अमावस्या सोमवार और अमावस्या होने के कारण सोमवती अमावस्या का संयोग है। शास्त्रों के अनुसार, अगर सोमवार की अमावस्या थोड़ी देर तक रहती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा। सोमवती अमावस्या को दिवाली के दिन मनाना बहुत शुभ माना जाता है। मुहूर्त की ज़्यादा जानकारी के लिए अनिल अस्ट्रॉलॉजर से सम्पर्क करें ।